❤️ Gulzar Sad Shayari ❤️

आज शाम हमारे ज़हन नें फ़िर से… तमाशा शुरू किया…

मजबूरन… मयख़ाने की ओर लौटना पड़ा हमें.

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ये धुन जो सुन रहे हो, उसकी सदा लगती है
साँस लेती है वो कि सुबह की सबा लगती है...

अब हम मंदिर-ओ-मस्जिद में क्यों जायें
वो बोलती है तो आयत-ए-खुदा लगती है...!!

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मैनें न तुम्हें जाना ना जानना चाहता हूं,

तुम अब मैं और मैं तुम हो जाना चाहता हूं..!!
कुछ तमाशा करो और कुछ नया तमाशा हो,
ये दुनियां आए दिन नए करतब देखती रहती है,

अच्छा अरे अच्छा जानें दो जानें ही दो,
लोगों को बुरा दिखाओ आँखें बुरा खोजती रहती हैं...!!
बहुत जवाब दे दिये
अब सवाल को सवाल ही रहने देते हैं...

सफाई दे दे कर थक गए
अब खुद पर इल्ज़ाम ही रहने देते हैं...

जब वो खुश है हमें इतना रूलाकर
तो उनके चेहरे पर इस मुस्कुराहट को ऐसे ही रहने देते हैं...

ज़िंदगी में दर्द तो आते-जाते रहेंगे
गम ही तो है थोड़ा और रहने देते हैं...!!

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वो : कैसी रही दीवाली??

मै  : वो सिलसिले
     वो शौक
     वो निसबत नहीं रही
     वो दिल नहीं रहा
     वो तबीयत नहीं रही...!!

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जो रो रहे हैं उनका शायद रोना ज़रूरी था,

बेवज़ह कुछ लोगों को रुलाया बहुत है....!!
क्या लिखूं
तुझे लिखूं या तेरी यादों को लिखूं
तेरे साथ बीते पलों को लिखूं
या तेरे ना होने के एहसास लिखूं
तेरी उस मुस्कान को लिखूं
या तेरी उन नजरों को लिखूं
आखिर लिखूं तो क्या लिखूं
तुझे लिखूं या तेरे ना होने के एहसास को लिखूं...!!

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एक बगावत की चिंगारी थी,

सारी दुनियां जल गई...!!
कहीं कोई जल रहा कहीं कोई मर रहा,

ये नशा है इश्क़ का नशा कहीं उतर रहा...!!
मुकर जाना भी क्या ख़ूब उनकी आदत है,

उनके झूठ पर यक़ीन करना मेरी आदत है...!!
मुबारक उन्हें जिन्हें मिली दुनियां,

मेरे हिस्से में तू आए और क्या चाहिए..!!
हर लफ्ज़ फिर से तोला सोचा समझा लेकिन क्या हुआ,

उसे तो जो समझ में आया था कहा कहता गया और चला गया..!!
आज फिर तेरी यादों की सुबह सी हैं,
हल्की सी कोहरे की धुंध और ओस सी आंखों में नमी सी है...
पलकें भारी हैं रात से अभी भी यादों के बोझ से,
जैसे मीलों का सफ़र तय किया हो और सफर मैं हैं...

लब्जो पे ख़ामोशी हैं और कदम लड़खड़ा रहे हैं,
सांसों में बेचैनी हैं और आंखों में उम्मीद लिए हैं...
कभी मिलोगे इस उम्मीद से अपने घर का दरवाज़ा खोले हुए हैं...

ये सफ़र यही न थम जाए जरा मुझसे पूछिए,
तुझसे मिलने की अर्जी ख़ुदा के दरबार में लगाए हुए हैं...!!

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वो बेटे कभी बिगड़ नहीं पाते
जिन्होंने माता-पिता का संघर्ष देखा है....!!

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कोई कहीं से आएगा और कहेगा जाओ अब सब बेहतर होगा कल से,

मै कहूंगा जानें दो उस कल के इंतज़ार में आज की उदासी रह जाएगी...!!
कुछ तमाशा तुमने बनाया कुछ शायद लोगों की आदत है,

मैं बिखरता इससे पहले ही पता चला ये तुम्हारी आदत है...!!
गांव की मिट्टी में पले बढ़े हैं

हमें अदाएं कम
मर्यादाएं ज्यादा पसन्द है...!!

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