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महत्वपूर्ण तथ्य -
गोरा धाय के अपूर्ण त्याग को जोधपुर राज्य के राष्ट्रीय गीत धूसां में गया जाता है । इनकी स्मृति में जोधपुर में 6 खम्भों से युक्त छतरी का निर्माण किया गया । जोधपुर में गोरा धाय नाम से बावड़ी भी है।
गवरी बाई के लिए डूंगरपुर के महारावल शिवसिंह बालमुकुंद मंदिर का निर्माण किया।
दुर्गा दास राठौर का जन्म सालवा गांव में हुआ ।
दुर्गादास की मृत्यु उज्जैन में 1718 में हुई ।
बीकानेरी राठौर की ख्यात (दयाल दास) में राठौर की उत्पत्ति से लेकर महाराज सरदार सिंह के राज्य रोहन तक का इतिहास मिलता है।
श्यामल दास मेवाड़ महाराणा शंभू सिंह उसके पुत्र सज्जन सिंह के दरबारी कवि।
शंभू सिंह के आदेश पर इन्होंने मेवाड़ राज्य का इतिहास लिखना शुरू किया जो वीर विनोद नामक ग्रंथ में संकलित है।
ब्रिटिश भारत सरकार ने इनको केसरी हिंद की उपाधि तथा महाराणा मेवाड़ में इनको कविराज की उपाधि ।
गौरी शंकर हीराचंद ओझा का जन्म रोहिडा सिरोही में हुआ ।
भारतीय प्राचीन लिपि माला नामक ग्रंथ की रचना की।
अंग्रेजों ने इन्हें महामहोपाध्याय एवं राय बहादुर की उपाधि दी ।
बाबूजी चतुर सिंह की प्रमुख कृतियां - मानव मित्र चरित्र ,शेष चरित्र, अलख पच्चीसी, अनुभव प्रकाश , चतुर प्रकाश, चतुर चिंतामणि, समाज बत्तीसी
मेजर पीरू सिंह परमवीर चक्र सम्मानित होने वाले पहले राजस्थानी ।
स्वामी केशवानंद का बचपन का नाम बीरमा था ।
पत्रकारिता के भीष्म पितामह पंडित झाबरमल शर्मा कहलाते हैं ।
आचार्य तुलसी ने कहा इंसान पहले इंसान फिर हिंदू या मुसलमान ।
जगत सिंह - गजल गायक राजस्थान रत्न पुरस्कार 2012
पंडित विश्व मोहन भट्ट ग्रैमी पुरस्कार प्राप्तकर्ता भट ने गिटार में सितारा सरोद और वीणा के 14 अतिरिक्त तारों के सटीक और अद्भुत मुहावरे का समन्वय करके मोहन मीणा का आविष्कार
राजस्थान पत्रिका की शुरुआत कपूरचंद कुलिस
जयपुर फुट के जनक डॉक्टर पी के सेठी
👍👍👍👍👍👍👍
गोरा धाय के अपूर्ण त्याग को जोधपुर राज्य के राष्ट्रीय गीत धूसां में गया जाता है । इनकी स्मृति में जोधपुर में 6 खम्भों से युक्त छतरी का निर्माण किया गया । जोधपुर में गोरा धाय नाम से बावड़ी भी है।
गवरी बाई के लिए डूंगरपुर के महारावल शिवसिंह बालमुकुंद मंदिर का निर्माण किया।
दुर्गा दास राठौर का जन्म सालवा गांव में हुआ ।
दुर्गादास की मृत्यु उज्जैन में 1718 में हुई ।
बीकानेरी राठौर की ख्यात (दयाल दास) में राठौर की उत्पत्ति से लेकर महाराज सरदार सिंह के राज्य रोहन तक का इतिहास मिलता है।
श्यामल दास मेवाड़ महाराणा शंभू सिंह उसके पुत्र सज्जन सिंह के दरबारी कवि।
शंभू सिंह के आदेश पर इन्होंने मेवाड़ राज्य का इतिहास लिखना शुरू किया जो वीर विनोद नामक ग्रंथ में संकलित है।
ब्रिटिश भारत सरकार ने इनको केसरी हिंद की उपाधि तथा महाराणा मेवाड़ में इनको कविराज की उपाधि ।
गौरी शंकर हीराचंद ओझा का जन्म रोहिडा सिरोही में हुआ ।
भारतीय प्राचीन लिपि माला नामक ग्रंथ की रचना की।
अंग्रेजों ने इन्हें महामहोपाध्याय एवं राय बहादुर की उपाधि दी ।
बाबूजी चतुर सिंह की प्रमुख कृतियां - मानव मित्र चरित्र ,शेष चरित्र, अलख पच्चीसी, अनुभव प्रकाश , चतुर प्रकाश, चतुर चिंतामणि, समाज बत्तीसी
मेजर पीरू सिंह परमवीर चक्र सम्मानित होने वाले पहले राजस्थानी ।
स्वामी केशवानंद का बचपन का नाम बीरमा था ।
पत्रकारिता के भीष्म पितामह पंडित झाबरमल शर्मा कहलाते हैं ।
आचार्य तुलसी ने कहा इंसान पहले इंसान फिर हिंदू या मुसलमान ।
जगत सिंह - गजल गायक राजस्थान रत्न पुरस्कार 2012
पंडित विश्व मोहन भट्ट ग्रैमी पुरस्कार प्राप्तकर्ता भट ने गिटार में सितारा सरोद और वीणा के 14 अतिरिक्त तारों के सटीक और अद्भुत मुहावरे का समन्वय करके मोहन मीणा का आविष्कार
राजस्थान पत्रिका की शुरुआत कपूरचंद कुलिस
जयपुर फुट के जनक डॉक्टर पी के सेठी
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SHORT NOTES -:
आबू के परमार - धुमराज संस्थापक 💥
गुजरात के राजा मूलराज सोलंकी से हारकर धरणीवराह ने राष्ट्रीय कूट के राजा धवल की शरण ली और बाद में आबू पर अधिकार किया ।
मोहम्मद गौरी और गुजरात के मध्य युद्ध में गुजरात की सेनापति का नेतृत्व में आबू के परमार धारा वर्ष ने किया ।
सोम सिंह के शासनकाल में तेजपाल ने आबू के दिलवाडा़ मे लूवणसाही नामक नेमीनाथ मंदिर बनाया ।
अंत में आबू के परमार पर चौहान प्रभुत्व स्थापित
आबू के परमार - धुमराज संस्थापक 💥
गुजरात के राजा मूलराज सोलंकी से हारकर धरणीवराह ने राष्ट्रीय कूट के राजा धवल की शरण ली और बाद में आबू पर अधिकार किया ।
मोहम्मद गौरी और गुजरात के मध्य युद्ध में गुजरात की सेनापति का नेतृत्व में आबू के परमार धारा वर्ष ने किया ।
सोम सिंह के शासनकाल में तेजपाल ने आबू के दिलवाडा़ मे लूवणसाही नामक नेमीनाथ मंदिर बनाया ।
अंत में आबू के परमार पर चौहान प्रभुत्व स्थापित
SHORT NOTES :-
करौली का यादव वंश - मथुरा राजा शुरसेन की वंशावली से संबंधित श्री कृष्ण के वंशज मानते थे स्वयं को ।
स्थापना - विजयपाल ने करौली में यादव वंश की निवं (बयाना भरतपुर राजधानी )
1348 अर्जुन पाल ने कल्याणपुर नगर बसाया जिसे वर्तमान में करौली कहते हैं ।
धर्मपाल द्वितीय ने करौली को राजधानी बनाया (1650)
💥करौली के राजा गोपाल पाल ने मदन मोहन मंदिर बनाया 👍
🔥करौली के राजा हरबक्षपाल ने 9 नवंबर 1817 से अंग्रेजों से संधि की ।
Imp. 👍
नरसिंह पाल की मृत्यु के बाद डलहौजी ने करौली का विलय कंपनी में करने के लिए बोर्ड आफ डायरेक्टर से सिफारिश की |
परंतु बोर्ड आफ डायरेक्टर के द्वारा अनुमति नहीं मिली
डेढ़ वर्ष के विचार विमर्श के बाद मदनपाल करौली का अंतिम राजा रहा ।
करौली का यादव वंश - मथुरा राजा शुरसेन की वंशावली से संबंधित श्री कृष्ण के वंशज मानते थे स्वयं को ।
स्थापना - विजयपाल ने करौली में यादव वंश की निवं (बयाना भरतपुर राजधानी )
1348 अर्जुन पाल ने कल्याणपुर नगर बसाया जिसे वर्तमान में करौली कहते हैं ।
धर्मपाल द्वितीय ने करौली को राजधानी बनाया (1650)
💥करौली के राजा गोपाल पाल ने मदन मोहन मंदिर बनाया 👍
🔥करौली के राजा हरबक्षपाल ने 9 नवंबर 1817 से अंग्रेजों से संधि की ।
Imp. 👍
नरसिंह पाल की मृत्यु के बाद डलहौजी ने करौली का विलय कंपनी में करने के लिए बोर्ड आफ डायरेक्टर से सिफारिश की |
परंतु बोर्ड आफ डायरेक्टर के द्वारा अनुमति नहीं मिली
डेढ़ वर्ष के विचार विमर्श के बाद मदनपाल करौली का अंतिम राजा रहा ।
✴ 2nd Grade भर्ती : पद 2129
✴ Second Grade भर्ती के लिए 2129 पदों पर वित्तीय स्वीकृति मिली है...
✴ REET पात्रता परीक्षा का नोटिफिकेशन आचार संहिता हटने के बाद ही जारी होगा
✴ Second Grade भर्ती के लिए 2129 पदों पर वित्तीय स्वीकृति मिली है...
✴ REET पात्रता परीक्षा का नोटिफिकेशन आचार संहिता हटने के बाद ही जारी होगा
♦️प्राध्यापक भर्ती 2024 ♦️
प्रमुख विषयवार पोस्ट
1. हिंदी-350
2.कॉमर्स-340
3.अंग्रेजी-325
4.राजनीति विज्ञान-225
5.भूगोल-210
6.गणित-153
7.भौतिकी-147
8.इतिहास-90
9.जीव विज्ञान-67
10.रसायन विज्ञान-36
प्रमुख विषयवार पोस्ट
1. हिंदी-350
2.कॉमर्स-340
3.अंग्रेजी-325
4.राजनीति विज्ञान-225
5.भूगोल-210
6.गणित-153
7.भौतिकी-147
8.इतिहास-90
9.जीव विज्ञान-67
10.रसायन विज्ञान-36
CET ME SCIENCE KE SBHI QUESTION ACCHE LEVEL KE THE TYARI JORO SE RKHO SCIENCE KI
Only Ncert Best Hai 👍
Only Ncert Best Hai 👍
Rsmssb मैं जारी किया आगामी भर्ती परीक्षाओं का कैलेंडर ।
कौन-कौन कैलेंडर से खुश है ?
कौन-कौन कैलेंडर से खुश है ?
KYA REET PATRTA KI NWES SHI H ?
Answer ajmer hoga mis type ki vjh se udp dikha rha h
महत्वपूर्ण बातें - 1861 में मिशनरी संस्था, कन्या वर्नाकुलर स्कूल प्रारंभ किया गया ।
सरकार द्वारा 1866 ईस्वी में पुष्कर, अजमेर मेरवाड़ा, में प्रथम सरकारी कन्या स्कूल खोला गया ।
सरकार द्वारा 1866 ईस्वी में पुष्कर, अजमेर मेरवाड़ा, में प्रथम सरकारी कन्या स्कूल खोला गया ।
राजस्थान इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं महत्वपूर्ण राजा -
•बप्पा की राजधानी नागदा
•कैलाशपुरी में एकलिंग जी मंदिर का निर्माण
• सी. वी .वेद्य् ने बप्पा की तुलना चार्ल्स मार्टेल (फ्रांसीसी सेनापति जिसने यूरोप में सर्वप्रथम मुसलमान को हराया ) उनसे की ।
जेत्रसिंह - परमारो से चित्तौड़ छीनकर उसे अपनी राजधानी बनाया ।
•1227 ईस्वी में भूताला के युद्ध में दिल्ली के गुलाम वंश के सुल्तान इल्तुतमिश की सेना को परास्त किया ।
•इस युद्ध का वर्णन जय सिंह सूरी के ग्रंथ हमीर मदमर्दन में मिलता है, इस ग्रंथ में इल्तुतमिश को हमीर कहा गया है ।
रतन सिंह - 1303 ईस्वी में दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण का सामना ।
•आक्रमण का कारण - साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा व चित्तौड़ की सैनिक व्यापारिक उपयोगिता ।
•1540 ईस्वी में मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा लिखित पद्मावत में अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ पर आक्रमण का कारण रावल रतन सिंह की पत्नी पद्मिनी को प्राप्त करना बतलाया गया है । और इसे डॉक्टर दशरथ शर्मा इस मत को मान्यता प्रदान करते हैं ।
•अलाउद्दीन की सेवा से लड़ते हुए रतन सिंह उसके सेनापति गोरा और बादल वीर गति को प्राप्त हुए तथा रानी पद्मिनी ने 1600 महिलाओं के साथ ज़ोहर किया ।
•इस युद्ध में अलाउद्दीन खिलजी का समकालीन इतिहासकार अमीर खुसरो भी सम्मिलित हुआ उसने अपने ग्रंथ खजाईन उल फुतुह में इस आक्रमण का वर्णन किया ।
•चित्तौड़गढ़ अपने पुत्र खिज्र खां को सौंप कर चित्तौड़ का नाम खिजराबाद कर दिया ।
•रावल शाखा का अंतिम शासक रावल रतन सिंह रहा ।
राणा हमीर - 1326 ईस्वी में चित्तौड़ पर अधिकार कर गुहील वंश की पुनः स्थापना की ।
•सिसोदा का जागीदार होने से उसे सिसोदिया कहा गया ।
•राणा हमीर के दादा लक्ष्मण सिंह अपने पुत्रों के साथ अलाउद्दीन खिलजी के विरुद्ध लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए ।
•हमीर को मेवाड़ के उदारक की संज्ञा दी जाती है ।
•राणा कुंभा की कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति में विषम घाटी पंचानन की संज्ञा ।
•हमीर ने सिंगोली (बांसवाड़ा) के युद्ध में मोहम्मद बिन तुगलक की सेना को परास्त किया।
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राजस्थान की प्रतापी शासको के बारे में जानने के लिए हमारे चैनल के साथ जुड़े ।
बप्पा रावल
- राज प्रशस्ति के अनुसार बप्पा ने 734 ईस्वी में चित्तौड़ के शासक मान मोरी को हरा कर चित्तौड़ पर अधिकार किया ।•बप्पा की राजधानी नागदा
•कैलाशपुरी में एकलिंग जी मंदिर का निर्माण
• सी. वी .वेद्य् ने बप्पा की तुलना चार्ल्स मार्टेल (फ्रांसीसी सेनापति जिसने यूरोप में सर्वप्रथम मुसलमान को हराया ) उनसे की ।
जेत्रसिंह - परमारो से चित्तौड़ छीनकर उसे अपनी राजधानी बनाया ।
•1227 ईस्वी में भूताला के युद्ध में दिल्ली के गुलाम वंश के सुल्तान इल्तुतमिश की सेना को परास्त किया ।
•इस युद्ध का वर्णन जय सिंह सूरी के ग्रंथ हमीर मदमर्दन में मिलता है, इस ग्रंथ में इल्तुतमिश को हमीर कहा गया है ।
रतन सिंह - 1303 ईस्वी में दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण का सामना ।
•आक्रमण का कारण - साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा व चित्तौड़ की सैनिक व्यापारिक उपयोगिता ।
•1540 ईस्वी में मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा लिखित पद्मावत में अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ पर आक्रमण का कारण रावल रतन सिंह की पत्नी पद्मिनी को प्राप्त करना बतलाया गया है । और इसे डॉक्टर दशरथ शर्मा इस मत को मान्यता प्रदान करते हैं ।
•अलाउद्दीन की सेवा से लड़ते हुए रतन सिंह उसके सेनापति गोरा और बादल वीर गति को प्राप्त हुए तथा रानी पद्मिनी ने 1600 महिलाओं के साथ ज़ोहर किया ।
•इस युद्ध में अलाउद्दीन खिलजी का समकालीन इतिहासकार अमीर खुसरो भी सम्मिलित हुआ उसने अपने ग्रंथ खजाईन उल फुतुह में इस आक्रमण का वर्णन किया ।
•चित्तौड़गढ़ अपने पुत्र खिज्र खां को सौंप कर चित्तौड़ का नाम खिजराबाद कर दिया ।
•रावल शाखा का अंतिम शासक रावल रतन सिंह रहा ।
राणा हमीर - 1326 ईस्वी में चित्तौड़ पर अधिकार कर गुहील वंश की पुनः स्थापना की ।
•सिसोदा का जागीदार होने से उसे सिसोदिया कहा गया ।
•राणा हमीर के दादा लक्ष्मण सिंह अपने पुत्रों के साथ अलाउद्दीन खिलजी के विरुद्ध लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए ।
•हमीर को मेवाड़ के उदारक की संज्ञा दी जाती है ।
•राणा कुंभा की कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति में विषम घाटी पंचानन की संज्ञा ।
•हमीर ने सिंगोली (बांसवाड़ा) के युद्ध में मोहम्मद बिन तुगलक की सेना को परास्त किया।
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ख्याल - 18 वीं सदी की शुरुआत से ही राजस्थान के लोकनाट्य में शामिल।
ख्यालों की विषय वस्तु पौराणिक या वीराख्यान से संबंधित होती है जिनमें ऐतिहासिक तत्व भी होते हैं।
1. कुचामनी ख्याल - प्रवर्तक लक्ष्मी राम
लक्ष्मी राम द्वारा रचित ख्याल - चांद नीलगिरी, राव रिडमल, मीरमंगल ।
विशेषता -
इसका रूप ओपेरा जैसा होता है।
इसमें लोकगीतों की प्रधानता है
इसका प्रदर्शन खुले मंच पर किया जाता है
इस स्त्री चरित्र का अभियान पुरुष पात्रों द्वारा किया जाता है ,
शहनाई ढोलक सारंगी मुख्य वादक,
इन खयालों की भाषा सरल होती है तथा सामाजिक बैंक पर आधारित विषय चुने जाते हैं ।
अन्य कलाकार - उगमराज
2. शेखावाटी ख्याल - प्रवर्तन चिड़ावा के नानूराम
इनके द्वारा रचित प्रमुख ख्याल - हीर रांझा हरिचंद भरथरी जयदेव कलादि ढोला मरवण और आल्हा देव ।
प्रभावी पद संचलन
संप्रेषण शैली में बादशाह और गीत का गायन
वाद्ययंत्र हारमोनियम सारंगी शहनाई बांसुरी नकारा ढोलक।
अन्य कलाकार धूलिया राणा
3. जयपुरी ख्याल - गुणीजन खान के कलाकार जयपुरी ख्याल में भाग लेते हैं।
स्त्री पात्रों की भूमिका का निर्वहन स्त्रियां भी करती है।
इस ख्याल में नए प्रयोग की अत्यधिक संभावनाएं ।
इसमें समाचार पत्रों कविता संगीत नृत्य गान एवं अभिनय का सुंदर समावेश
कुछ लोकप्रिय ख्याल जयपुर की - जोगी जोगन कान गुजरी मियां विभु पठान रसीली तम्बलोन
4. हेला ख्याल - लालसोट दोसा सवाई माधोपुर क्षेत्र का प्रसिद्ध लोक नाट्य
बम नगाड़ा के प्रयोग के साथ इस ख्याल का प्रारंभ साथ में नौबत बजाया जाता है।
इस ख्याल की विशेषता हेला देना लंबी टोर में आवाज देना
5. कन्हैयाख्याल - करौली सवाई माधोपुर धौलपुर भरतपुर में दोसा क्षेत्र का प्रसिद्ध लोक नाट्य
ख्याल में कहीं जाने वाले मुख्य कथा को - कहन तथा मुख्य पात्र को - मेडिया कहते हैं ।
6. तुरा कंलगी ख्याल - मेवाड़ के शाह अली और तुकनगीर नमक संत पीरों ने 400 वर्ष पूर्व तुर्रा कलंगी की रचना की ।
तुर्रा - शिव ,कलंगी - पार्वती का प्रतीक माना जाता है ।
तुकनगीर तुरा के तथा शाह अली कलंगी के पक्षकर थे ।
इनमें शिव शक्ति संबंधी विचारों को लोगों तक पहुंचाने का मुख्य माध्यम काव्य रचनाएं थी ।
जिन्हें दंगल के नाम से जानते हैं
इसके संवादो को बोल कहते हैं
इसकी प्रकृति गैर व्यावसायिक है ।
मुख्य केंद्र - घोसुंडा निंबोड़ा चित्तौड़ नीमच मध्य प्रदेश
मुख्य कलाकार जयदयाल सोनी चेतराम हमीद बाग ताराचंद ठाकुर ओंकार सिंह ।।
ख्यालों की विषय वस्तु पौराणिक या वीराख्यान से संबंधित होती है जिनमें ऐतिहासिक तत्व भी होते हैं।
1. कुचामनी ख्याल - प्रवर्तक लक्ष्मी राम
लक्ष्मी राम द्वारा रचित ख्याल - चांद नीलगिरी, राव रिडमल, मीरमंगल ।
विशेषता -
इसका रूप ओपेरा जैसा होता है।
इसमें लोकगीतों की प्रधानता है
इसका प्रदर्शन खुले मंच पर किया जाता है
इस स्त्री चरित्र का अभियान पुरुष पात्रों द्वारा किया जाता है ,
शहनाई ढोलक सारंगी मुख्य वादक,
इन खयालों की भाषा सरल होती है तथा सामाजिक बैंक पर आधारित विषय चुने जाते हैं ।
अन्य कलाकार - उगमराज
2. शेखावाटी ख्याल - प्रवर्तन चिड़ावा के नानूराम
इनके द्वारा रचित प्रमुख ख्याल - हीर रांझा हरिचंद भरथरी जयदेव कलादि ढोला मरवण और आल्हा देव ।
प्रभावी पद संचलन
संप्रेषण शैली में बादशाह और गीत का गायन
वाद्ययंत्र हारमोनियम सारंगी शहनाई बांसुरी नकारा ढोलक।
अन्य कलाकार धूलिया राणा
3. जयपुरी ख्याल - गुणीजन खान के कलाकार जयपुरी ख्याल में भाग लेते हैं।
स्त्री पात्रों की भूमिका का निर्वहन स्त्रियां भी करती है।
इस ख्याल में नए प्रयोग की अत्यधिक संभावनाएं ।
इसमें समाचार पत्रों कविता संगीत नृत्य गान एवं अभिनय का सुंदर समावेश
कुछ लोकप्रिय ख्याल जयपुर की - जोगी जोगन कान गुजरी मियां विभु पठान रसीली तम्बलोन
4. हेला ख्याल - लालसोट दोसा सवाई माधोपुर क्षेत्र का प्रसिद्ध लोक नाट्य
बम नगाड़ा के प्रयोग के साथ इस ख्याल का प्रारंभ साथ में नौबत बजाया जाता है।
इस ख्याल की विशेषता हेला देना लंबी टोर में आवाज देना
5. कन्हैयाख्याल - करौली सवाई माधोपुर धौलपुर भरतपुर में दोसा क्षेत्र का प्रसिद्ध लोक नाट्य
ख्याल में कहीं जाने वाले मुख्य कथा को - कहन तथा मुख्य पात्र को - मेडिया कहते हैं ।
6. तुरा कंलगी ख्याल - मेवाड़ के शाह अली और तुकनगीर नमक संत पीरों ने 400 वर्ष पूर्व तुर्रा कलंगी की रचना की ।
तुर्रा - शिव ,कलंगी - पार्वती का प्रतीक माना जाता है ।
तुकनगीर तुरा के तथा शाह अली कलंगी के पक्षकर थे ।
इनमें शिव शक्ति संबंधी विचारों को लोगों तक पहुंचाने का मुख्य माध्यम काव्य रचनाएं थी ।
जिन्हें दंगल के नाम से जानते हैं
इसके संवादो को बोल कहते हैं
इसकी प्रकृति गैर व्यावसायिक है ।
मुख्य केंद्र - घोसुंडा निंबोड़ा चित्तौड़ नीमच मध्य प्रदेश
मुख्य कलाकार जयदयाल सोनी चेतराम हमीद बाग ताराचंद ठाकुर ओंकार सिंह ।।
2. सी.एस. वेंकटचारी - मैसूर (कर्नाटक)
दूसरे मनोनीत मुख्यमंत्री (केंद्र सरकार द्वारा)
संविधान सभा के सदस्य
IAS पद पर रहते हुए मुख्यमंत्री
बीकानेर व जोधपुर के प्रधानमंत्री भी (रियायती काल में)
1958 कनाडा के राजदूत
सचिव - के. राधाकृष्णन , s.w शिव शंकर
दूसरे मनोनीत मुख्यमंत्री (केंद्र सरकार द्वारा)
संविधान सभा के सदस्य
IAS पद पर रहते हुए मुख्यमंत्री
बीकानेर व जोधपुर के प्रधानमंत्री भी (रियायती काल में)
1958 कनाडा के राजदूत
सचिव - के. राधाकृष्णन , s.w शिव शंकर
"राजस्थान के मुख्यमंत्री
1. हीरालाल शास्त्री - जोबनेर जयपुर
शांताबाई कुटीर 1935 (वनस्थली विद्यापीठ) - निवाई टोंक स्थापना की।
आत्मकथा - प्रत्यक्ष जीवन शास्त्र ।
लोकप्रिय गीत- प्रलय प्रतीक्षा नमो नमः ।
1940 जयपुर प्रजामंडल के अध्यक्ष ।
1942 जेंटलमैन एग्रीमेंट हीरालाल शास्त्री मिर्जा इस्माइल के मध्य ।
प्रथम मनोनीत मुख्यमंत्री (26 Jan 1950 से पूर्व मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री का नाम )
यह संविधान सभा की एवं दूसरी लोकसभा के सदस्य रहे हैं
1976 डाक टिकट जारी ।
30 मार्च 1949 को संभागीय व्यवस्था चालू की।
इनके कार्यकाल में सचिव - के. राधाकृष्णन, वी. नारायण ।
पत्नी - रतन शास्त्री (वनस्थली विद्यापीठ स्थापना)
राजस्थान की प्रथम एकमात्र महिला जिसे पदम श्री , पदम विभूषण मिला । "
1. हीरालाल शास्त्री - जोबनेर जयपुर
शांताबाई कुटीर 1935 (वनस्थली विद्यापीठ) - निवाई टोंक स्थापना की।
आत्मकथा - प्रत्यक्ष जीवन शास्त्र ।
लोकप्रिय गीत- प्रलय प्रतीक्षा नमो नमः ।
1940 जयपुर प्रजामंडल के अध्यक्ष ।
1942 जेंटलमैन एग्रीमेंट हीरालाल शास्त्री मिर्जा इस्माइल के मध्य ।
प्रथम मनोनीत मुख्यमंत्री (26 Jan 1950 से पूर्व मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री का नाम )
यह संविधान सभा की एवं दूसरी लोकसभा के सदस्य रहे हैं
1976 डाक टिकट जारी ।
30 मार्च 1949 को संभागीय व्यवस्था चालू की।
इनके कार्यकाल में सचिव - के. राधाकृष्णन, वी. नारायण ।
पत्नी - रतन शास्त्री (वनस्थली विद्यापीठ स्थापना)
राजस्थान की प्रथम एकमात्र महिला जिसे पदम श्री , पदम विभूषण मिला । "